१.
सुख को कई उपमानो से
ब्यक्त कर सकता हूँ
दुःख को माप नहीं पाता भाषिक यन्त्र
पीड़ा आंसुओ को छिपा ब्यक्त नहीं कर सजती अपनी उठान
दुःख स्मृति भर बक पाती है कविता
दुःख उन्छुआ निकल जाता है शब्द घेरों से
रो नहीं सकने पर
दुःख रह जाता है अनकहा
सुख को कई उपमानो से
ब्यक्त कर सकता हूँ
दुःख को माप नहीं पाता भाषिक यन्त्र
पीड़ा आंसुओ को छिपा ब्यक्त नहीं कर सजती अपनी उठान
दुःख स्मृति भर बक पाती है कविता
दुःख उन्छुआ निकल जाता है शब्द घेरों से
रो नहीं सकने पर
दुःख रह जाता है अनकहा