तुम कहते हो
तुम से पहले भी कहा था कोई
उससे भी पहले कोई
प्यार होता है कोमल
इतना कि
पनपता है एक बार बस
सूख वा टूट जाता है खिलवाड़ से
तुम कहते हो
तुम से पहले भी कहा था कोई
उससे भी पहले कोई
मुझे पसंद है
प्यार को पनपने देना
अछूते कोनो को झंकृत करना
मुझे पसंद है तोड़ देना कोमल प्यार
तुम कहते हो
तुम से पहले भी कहा था कोई
उससे भी पहले कोई
कत्ल के कई इल्जाम है संवेदनाओ के
मांगती हु मै स्थायित्व
अंत से संबंधो के
मेरे मित्र
तुम्हारी बात हो सकती है सच भी
मैंने नहीं कभी किया प्रेम
मेरे मित्र सच हो सकती है तुम्हारी बात भी
मैंने चाहा हमेशा
करे न कोई प्यार कभी मुझे
प्रेम में सवांरते हो तुम केवल कोमलपन
तेरी भावना भर पाती है पोषण
सींचते हो तुम ही ह्रदय का नम्र कोना
करते हो जब जब तुम प्रेम मुझे
मै नहीं तुम ही होते हो निज दुनिया की धुरी
मेरे मित्र
खिलवाड़ से सूखे/टूटे प्रेमोपरांत
बन पाते हो
मेरे सखा
मै चाहती हु
तुमसे
तुमसे पहले कोई
उससे पहले कोई