१.
न चकित
निराश नहीं ।
प्रेम, सत्कार
परे , किसी छुअन से भी
अभाव, भाव का
हमारी नियत इतनी ॥
२.
हमें तलाश नहीं
न आकांक्षा
हमारा दौर
असमय से समयातीत
शून्य, समाज
हमारी उपलब्धि ॥