Friday, August 22, 2014

वक़्त

1.

वक़्त का एक मोड़ ऐसा भी 
परे जिसके, 

इंतज़ार बचता है वक़्त ख़त्म होने का। 


2.


न अनादि है न अनंत समय का विस्तार। 
भ्रम भर,
ख़त्म हो जाता है, शुरुआत के अनन्तर ही। 



3.

(अ)काल नहीं धरता रूप, भूत या वर्तमान।

भविष्यत् काल,
कुछ नहीं, बस मन की उड़ान। 

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