१.
तमाम बातों के बाद भी
बची रह जाती हैं ज़रूरी बातें।
मुद्दतों बाद तुम्हारे जाने के,
बची रह जाती है, थोड़ी रात।
२.
दुहराना ज़िन्दगी को, नागवार।
एक ही मंत्र का पुनरुच्चार
अभिव्यक्ति का दुहराव
प्रेम का पुनः प्रेषण, नागवार।
३.
फ़र्क़ है हंसी और ख़ुशी में
हंसती हुई कामकाजी औरतें खुश तो नहीं।
इस क्रूर समय में
अपराध से काम तो नहीं खुश होना।
तमाम बातों के बाद भी
बची रह जाती हैं ज़रूरी बातें।
मुद्दतों बाद तुम्हारे जाने के,
बची रह जाती है, थोड़ी रात।
२.
दुहराना ज़िन्दगी को, नागवार।
एक ही मंत्र का पुनरुच्चार
अभिव्यक्ति का दुहराव
प्रेम का पुनः प्रेषण, नागवार।
३.
फ़र्क़ है हंसी और ख़ुशी में
हंसती हुई कामकाजी औरतें खुश तो नहीं।
इस क्रूर समय में
अपराध से काम तो नहीं खुश होना।
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