१.
तर्क की गंध ही बारूदी
हिसाब की लौ मद्धम।
आग लगा दो हिसाब औ तर्क को।
२.
नहीं बेहतर कुछ, रात की बारिश से
अँधेरे में खुशबू और छपाछप।
हो रात तो, करो बारिश।
३.
याद भी जलाती है
स्वप्न झरते हैं यादों में।
मन के खालीपन से बोझ यादों का भला।
तर्क की गंध ही बारूदी
हिसाब की लौ मद्धम।
आग लगा दो हिसाब औ तर्क को।
२.
नहीं बेहतर कुछ, रात की बारिश से
अँधेरे में खुशबू और छपाछप।
हो रात तो, करो बारिश।
३.
याद भी जलाती है
स्वप्न झरते हैं यादों में।
मन के खालीपन से बोझ यादों का भला।
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